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बुधवार, 23 जुलाई 2014

जीवन का लक्ष्य (1-15 जनवरी 2014 रंगीन) पाक्षिक समाचार पत्र

जीवन का लक्ष्य (1-15 जनवरी 2014) पाक्षिक समाचार पत्र

जीवन का लक्ष्य (1-15 दिसम्बर 2013) पाक्षिक समाचार पत्र

जीवन का लक्ष्य (1-15 नवम्बर 2013) पाक्षिक समाचार पत्र

जीवन का लक्ष्य (16-31 जनवरी 2013) पाक्षिक समाचार पत्र

जीवन का लक्ष्य (1-15 जनवरी 2013) पाक्षिक समाचार पत्र

जीवन का लक्ष्य (16-31अप्रैल 2012) पाक्षिक समाचार पत्र

जीवन का लक्ष्य (1-15 अप्रैल 2012) पाक्षिक समाचार पत्र

जीवन का लक्ष्य (1-15 जनवरी 2010) पाक्षिक समाचार पत्र

जीवन का लक्ष्य (16-31 अक्टूबर 2009) पाक्षिक समाचार पत्र

मैं मानता हूँ कि मेरी कलम किसी को न्याय नहीं दे सकती है. मगर अपनी कलम से पूरी ईमानदारी के साथ यदि किसी के ऊपर अन्याय हो रहा है. तब उसको लेखन द्वारा उच्च अधिकारीयों तक पहुंचा दूँ. इस अख़बार के प्रथम पेज पर छपी खबर(मोबाईल चोरी के शक में युवक की तार से गला घोंटकर हत्या ) के बारें में मुझे जब अपने विश्वनीय सूत्रों से मालूम हुआ कि उपरोक्त केस पुलिस पैसे लेकर रफा-दफा करने के चक्कर में है. तभी मैंने थाने में जाकर उपरोक्त घटना का पूरा विवरण लिया उसके बाद पीड़ित पक्ष से मिला और अपने अख़बार में छपने से पहले हर रोज के अख़बारों के पत्रकारों के माध्यम से राष्ट्रिय अख़बारों में उपरोक्त घटना को प्रिंट करवाया. जिससे पुलिस के ऊपर दबाब बना और उसको आरोपितों की गिरफ्तारी दिखानी पड़ी. मेरी पत्रकारिता में काफी ऐसे अवसर आये है कि मेरे सूत्रों और आम आदमी ने किसी घटना की सूचना पुलिस को देने से पहले मुझे दी और अनेक बार मैंने पुलिस को फोन करके घटनास्थल पर बुलाया था. मैंने अपनी पत्रकारिता को लेकर सूत्रों और आम आदमी में यह विश्वास कायम किया था कि आपका नाम का जिक्र कभी नहीं आएगा. बेशक कोई कुत्ते की मौत मारे या धोखे से कभी मुझे मरवा दें. आप बिना झिझक के मुझे घटना और उसकी सच्चाई से अवगत करवाएं. मेरे बारें में यह मशहूर था कि एक बार कोई ख़बर सिरफिरे को पता चल जाये फिर खबर को खरीद या दबा नहीं सकता है, क्योंकि मुझे पत्रकारिता के शुरू से धन-दौलत से इतना मोह नहीं रहा है. हाँ, अपनी मेहनत और पसीने की कमाई का एक रुपया किसी के पास नहीं छोड़ता था. यदि शुरू में किसी ताकतवर व्यक्ति ने या किसी ने अपनी दबंगता के चलते रख भी लिए तो मैंने उसका कभी कोई अहित नहीं किया. मगर मेरे पैसे उसके पाप के घड़े की आखिरी बूंद साबित हुए. भगवान ने उनको ऐसी सजा दी कि काफी लोग तो दस-पन्दह साल तक भी उबर नहीं पायें. इसलिए मैं अपनी कलम से केवल दूसरो का हित करने की सोचता हूँ.

जीवन का लक्ष्य (1-15 अक्टूबर 2009) पाक्षिक समाचार पत्र

मंगलवार, 22 जुलाई 2014

जीवन का लक्ष्य (1-15 दिसम्बर 2008) पाक्षिक समाचार पत्र

मेरे फेसबुक के सभी दोस्त "जीवन का लक्ष्य " समाचार पत्र के नए अंक को पढ़ें. आप भी पढ़ें और दूसरों को पढ़ने के लिए भेजें. यदि फेसबुक के मेरे सभी दोस्त या पाठक "जीवन का लक्ष्य " समाचार पत्र को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो http://shakuntalapress.blogspot.in/ यहाँ पर जाकर जहाँ पर यह (यहाँ आप अपना ईमेल भरकर नई प्रकाशित सामग्री ईमेल पर ही प्राप्त कर सकते हैं) लिखा है. अपनी ईमेल भर दें. उसके बाद आपको अपने आप ईमेल से "जीवन का लक्ष्य " समाचार पत्र का नया अंक मिल जायेगा. दोस्तों व पाठकों, अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे समाचार पत्र की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं. आपको अपने विचारों की अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता है. लेकिन आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-आप अपनी टिप्पणियों में गुप्त अंगों का नाम लेते हुए और अपशब्दों का प्रयोग करते हुए टिप्पणी ना करें. मैं ऐसी टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं करूँगा. आप स्वस्थ मानसिकता का परिचय देते हुए तर्क-वितर्क करते हुए हिंदी में टिप्पणी करें.

जीवन का लक्ष्य (16-30 नवम्बर 2008) पाक्षिक समाचार पत्र

मेरे फेसबुक के सभी दोस्त "जीवन का लक्ष्य " समाचार पत्र के नए अंक को पढ़ें. आप भी पढ़ें और दूसरों को पढ़ने के लिए भेजें. यदि फेसबुक के मेरे सभी दोस्त या पाठक "जीवन का लक्ष्य " समाचार पत्र को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो http://shakuntalapress.blogspot.in/ यहाँ पर जाकर जहाँ पर यह (यहाँ आप अपना ईमेल भरकर नई प्रकाशित सामग्री ईमेल पर ही प्राप्त कर सकते हैं) लिखा है. अपनी ईमेल भर दें. उसके बाद आपको अपने आप ईमेल से "जीवन का लक्ष्य " समाचार पत्र का नया अंक मिल जायेगा. दोस्तों व पाठकों, अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे समाचार पत्र की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं. आपको अपने विचारों की अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता है. लेकिन आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-आप अपनी टिप्पणियों में गुप्त अंगों का नाम लेते हुए और अपशब्दों का प्रयोग करते हुए टिप्पणी ना करें. मैं ऐसी टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं करूँगा. आप स्वस्थ मानसिकता का परिचय देते हुए तर्क-वितर्क करते हुए हिंदी में टिप्पणी करें.

जीवन का लक्ष्य (1-15 नवम्बर 2008) पाक्षिक समाचार पत्र

मेरे फेसबुक के सभी दोस्त "जीवन का लक्ष्य " समाचार पत्र के नए अंक को पढ़ें. आप भी पढ़ें और दूसरों को पढ़ने के लिए भेजें. यदि फेसबुक के मेरे सभी दोस्त या पाठक "जीवन का लक्ष्य " समाचार पत्र को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो http://shakuntalapress.blogspot.in/ यहाँ पर जाकर जहाँ पर यह (यहाँ आप अपना ईमेल भरकर नई प्रकाशित सामग्री ईमेल पर ही प्राप्त कर सकते हैं) लिखा है. अपनी ईमेल भर दें. उसके बाद आपको अपने आप ईमेल से "जीवन का लक्ष्य " समाचार पत्र का नया अंक मिल जायेगा. दोस्तों व पाठकों, अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे समाचार पत्र की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं. आपको अपने विचारों की अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता है. लेकिन आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-आप अपनी टिप्पणियों में गुप्त अंगों का नाम लेते हुए और अपशब्दों का प्रयोग करते हुए टिप्पणी ना करें. मैं ऐसी टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं करूँगा. आप स्वस्थ मानसिकता का परिचय देते हुए तर्क-वितर्क करते हुए हिंदी में टिप्पणी करें.

जीवन का लक्ष्य (16-31अक्टूबर 2008) पाक्षिक समाचार पत्र

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जीवन का लक्ष्य (1-15 अक्टूबर 2008) पाक्षिक समाचार पत्र

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जीवन का लक्ष्य (16-30 सितम्बर 2008) पाक्षिक समाचार पत्र

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जीवन का लक्ष्य (16-31 मार्च 2008) पाक्षिक समाचार पत्र

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जीवन का लक्ष्य (1-15 अप्रैल 2007) पाक्षिक समाचार पत्र

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जीवन का लक्ष्य (1-15 मार्च 2007) पाक्षिक समाचार पत्र

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सोमवार, 21 जुलाई 2014

जीवन का लक्ष्य (16-31 अगस्त 2004) पाक्षिक समाचार पत्र

अख़बार "जीवन का लक्ष्य" के पुराने अंको की कहानी दोस्तों, पिछले विगत दिन 29 जून से एम.टी.एन.एल का इंटरनेट खराब था जोकि 19 जुलाई को शाम चार बजे ठीक हुआ. इस कारण अपनी सारी घर-परिवार व व्यवसाय की जिम्मेदारी पूरी करने के बाद बचे हुए समय (जो फेसबुक और सोशल वेबसाईट पर लगाता था) में मैंने अपने कुछ(मेरे पास पहले अपना पी.सी नहीं था और सारा काम बाहर होता था. इस कारण से सभी अंको की फ़ाइल को फ्लोपी या सी.डी आदि में कॉपी नहीं करके देते थें, क्योंकि अख़बार का एक बार लेआउट (फोर्मेट)सेट होने के बाद अगले अंक के लिए केवल समाचार ही बदलने होते थें. उनको डर होता था कि कहीं और से काम ना करवाने लग जाये जैन साहब) पुराने अंको की पी.डी.ऍफ़ बनाने के लिए उसमें जो सुधार की जरूरत थी. उनको ठीक करके कुछ पुराने अंको की पी.डी.ऍफ़ फ़ाइल बनाकर आपके पढने योग्य बनाया है. यदि इन अंको में आपको कोई कमी या गलती नजर आती है. तब उसको मेरे ध्यान में जरुर लाये. कुछ ऐसी गलतियाँ भी होगी जो अख़बार के सोफ्टवेयर पेजमेकर से पी.डी.ऍफ़ फ़ाइल में बदलने पर आती है. जिनके लिए अनेक उपाय है. यदि आप मेरे ध्यान में लायेगे तो मुझे उनको भी ठीक करने का अवसर मिलेगा. यह सब(पेजमेकर से पी.डी.ऍफ़ फ़ाइल बनाना)करना मुझे मेरे गुरुदेव श्री दिनेशराय द्विवेदी जी के बेटे वैभव द्विवेदी के कारण आया है. जिससे मेरा अख़बार आप सभी भी पढ़ सकते है. मेरे कुछ पुराने अख़बारों में मेरे विचार और समाचार पढ़कर आपको भी पता चल पायेगा कि मैं कैसे अपनी पत्रकारिता की दुनियां में पहले "सिरफिरा" था और अब निर्भीक हूँ. मेरा विश्वास है कि आप देखेंगे मैंने हमेशा अपनी पत्रकारिता में शेर की माँद में घुसकर शेर को ललकारा है. जब मौत एक दिन आनी है फिर डर कैसा? सौ दिन घुट-घुटकर मरने से तो एक दिन शान से जीना कहीं बेहतर है. मेरा बस यहीं कहना है कि-आप आये हो, एक दिन लौटना भी होगा. फिर क्यों नहीं तुम ऐसा करो कि तुम्हारे अच्छे कर्मों के कारण तुम्हें पूरी दुनिया हमेशा याद रखें. धन-दौलत कमाना कोई बड़ी बात नहीं, पुण्य कर्म कमाना ही बड़ी बात है और "हमें ज़मीर बेचना आया ही नहीं, वरना दौलत कमाना इतना भी मुश्किल नहीं" मेरे फेसबुक के सभी दोस्त "जीवन का लक्ष्य " समाचार पत्र के नए अंक को पढ़ें. आप भी पढ़ें और दूसरों को पढ़ने के लिए भेजें. यदि फेसबुक के मेरे सभी दोस्त या पाठक "जीवन का लक्ष्य " समाचार पत्र को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो http://shakuntalapress.blogspot.in/ यहाँ पर जाकर जहाँ पर यह (यहाँ आप अपना ईमेल भरकर नई प्रकाशित सामग्री ईमेल पर ही प्राप्त कर सकते हैं) लिखा है. अपनी ईमेल भर दें. उसके बाद आपको अपने आप ईमेल से "जीवन का लक्ष्य " समाचार पत्र का नया अंक मिल जायेगा. दोस्तों व पाठकों, अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे समाचार पत्र की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं. आपको अपने विचारों की अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता है. लेकिन आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-आप अपनी टिप्पणियों में गुप्त अंगों का नाम लेते हुए और अपशब्दों का प्रयोग करते हुए टिप्पणी ना करें. मैं ऐसी टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं करूँगा. आप स्वस्थ मानसिकता का परिचय देते हुए तर्क-वितर्क करते हुए हिंदी में टिप्पणी करें.
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